कैलाश पर्वत पर चढ़ाई
दोस्तों जानते हैं, कैलाश पर्वत पर कोई क्यों नहीं चढ़ाई कर पाया? इसके बारे मे रहस्य
आइये जानते है कैलाश पर्वत का रहस्य-
- कैलाश पर्वत पर कोई क्यों नहीं चढ़ाई कर पाया ?
- दोस्तो कैलाश पर्वत की ऊंचाई कितनी है?
कैलाश पर्वत चढ़ाई का रहस्य क्या है? ( Why no one climbed Mount Kailash? mystery)
दुनिया भर के लोगों का मानना है, की कैलाश पर्वत एक पवित्र स्थान है।
इसीलिए इस पर किसी को भी कैलाश पर्वत पर चढ़ाई नहीं करनी चाहिए। जिसके बाद से कैलाश पर्वत की चढ़ाई पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी।
कैलाश पर्वत का महत्व इसकी ऊंचाई की वजह से नहीं, बल्कि इसके विशेष आकार की वजह से है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा हिंदू धर्म में बेहद खास महत्व माना गया है। कैलाश मानसरोवर को भगवान शिव शंकर का निवास स्थल माना जाता है।
इसके अलावा कैलाश पर्वत को पूरी दुनिया का सबसे अद्भुत पर्वत माना जाता है।
कैलाश पर्वत की ऊंचाई (Kailash Mountain Height)
दोस्तों कैलाश मानसरोवर यात्रा पर गए भगवान शिव के भक्त श्रद्धालु दूर से ही कैलाश पर्वत भगवान शिव की चरण स्पर्श करने वाले हैं।
क्योंकि इस कैलाश पर्वत की ऊंचाई बहुत अधिक और अद्भुत है। जहां पहुंचना किसी के बस की बात नहीं है।
दोस्तों माना जाता है कि कैलाश पर आकर भगवान शिव का दर्शन करता है उसके लिए भगवान शिव मोक्ष का दरवाजा हमेशा खुला रखता है।
दोस्तों कैलाश पर्वत की ऊंचाई 6600 मीटर से अधिक है यह दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत माउंट एवरेस्ट से भी लगभग 2200 मीटर कम है।
दुनिया भर से लगभग घुड़सवार एवरेस्ट पर अब तक चढाई करने वाले लोग 7000 से अधिक हो चुके हैं। लेकिन कैलाश पर्वत एक कैसा पर्वत है, जहाँ पर तमाम कोशिशों के बाद आज भी इस कैलाश पर्वत पर कोई भी पहाड़ नहीं पाया गया है।
दोस्तों दुनिया भर से वैज्ञानिक अनुसंधान किए जाते हैं लेकिन कैलाश पर्वत और कैलाश क्षेत्र का शोध करने वाले हौरतलिज ने कैलाश पर्वत पर चढ़ने का प्रयास हमेशा असंभव बताया है।
कैलाश पर्वत पर्वतारोही कर्नल आर. सी. ने बताया
पर्वतारोही कर्नल आर. सी. ने बताया की मुझे लगा की एक सीधा रास्ता से कैलाश पर्वत के शिखर ऊपर पर मैं चढ़ सकता हूं लेकिन भयानक बर्फ बर्फबारी ने मेरा रास्ता रोक दिया था और मैं चढ़ाई में असंभव बना रहा।
दोस्तों कई पर्वतारोही का दावा है की भगवान शिव के कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करना असंभव है।
एक रूसी के पर्वतारोही सरगे सिस्टियकोव ने बताया कि जब मैं कैलाश पर्वत की मैं बिल्कुल पास पहुंच गया था तब तक मेरा दिल इतना तेजी से धड़कने लगा कि मैं उस समय पर्वत के बिल्कुल पास में था।
जिस कैलाश पर्वत पर आज तक मानव नहीं चल रहा है। मुझे अपने पर बहुत गर्व महसूस हो रहा है तो में अचानक मुझे बहुत कमजोरी महसूस होने लगी और मन में ऐसे रखने आने लगे मुझे यहाँ और नहीं रुकना चाहिए
और मेरे दिल की धड़कन इतनी तेज हो गई कि मुझे वापस लौटना पड़ा उसके बाद जैसे-जैसे हम नीचे आते हैं मन हल्का हो जाता है।
लगभग 17 साल पहले 2001 में कैलाश पर्वत पर चढ़ने की आखिरी कोशिश की गई थी जब चीन ने स्पेन की एक टीम को कैलाश पर्वत पर चढ़ने की अनुमति दी थी।
जिसके बाद स्थानीय लोगों और लोगों के लोगों का मानना है कि कैलाश पर्वत भगवान शिव का पवित्र स्थान है पर इस पर किसी भी प्रकार की चढ़ाई करने से रोकना चाहिए जिसके बाद कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करने के लिए पूरी तरह से रोक दिया गया था।
दोस्तों कैलाश पर्वत का महत्व इसकी ऊंचाई की वजह से नहीं बल्कि कैलाश पर्वत की विशेष आकार के कारण से माना जाता है कि कैलाश पर्वत का आकार चौमुखी की दिशा बताने वाले कंपास की तरह है।
पूरी दुनिया का कैलाश पर्वत धरती का केंद्र माना जाता है, दरअसल रूस के वैज्ञानिकों की स्टडी के मुताबिक कैलाश पर्वत मानव निर्मित पिरामिड हो सकता है जिसका निर्माण किसी देवीय शक्ति वाले व्यक्ति ने किया होगा।
इसके अलावा एक दूसरे वैज्ञानिक स्टडी के मुताबिक कैलाश पर्वत ही वह ब्रह्मांड का केंद्र यानी ऐक्सिस मुंडी है जिसका मतलब ब्रह्मांड का केंद्र माना जाता है। इसी तरह अलग-अलग धर्मों में अलग-अलग जगह को धरती का केंद्र माना जाता है।
वैसे दोस्तों कैलाश पर्वत को धरती का केंद्र मानने की वजह तो कई होंगे। लेकिन माना जाता है कि कैलाश पर्वत पृथ्वी का भौगोलिक केंद्र है.
दूसरा कैलाश पर्वत पर आकाश और पृथ्वी का मिलन होता है। और कैलाश पर्वत के चारों दिशाओं का केंद्र बिंदु ईश्वर और उनकी निर्मित सृष्टि के बीच परस्पर का केंद्र बिंदु होना है।
कहते हैं की कैलाश पर्वत की जब बर्फ पिघलती है तो भगवान शिव के डमरु जैसी आवाज निकलती है.
यह भी माना जाता है की कैलाश पर्वत पर साक्षात शिव मौजूद है।
कैलाश पर्वत की दक्षिण में सूर्य जैसी सरंचना वाला ब्रह्मांड ताल है, जिसके दर्शन करने वाली दुनिया भर से भगवान शिव के श्रद्धालु आते हैं।
वही कैलाश पर्वत के 1 किलोमीटर की दूरी पर एक राक्षस ताल है जहाँ कोई नहीं जाता है
ब्रह्मांड ताल का पानी मीठा है जबकि राक्षस ताल का पानी खारा है यही कारण है कि यहां कैलाश पर्वत पर जीव जंतु भी दिखाई नहीं देते हैं।
दोस्तों माना जाता है कि ब्रह्मांड समन्वयात्मक ऊर्जा उत्पन्न करने का केंद्र है जबकि राक्षस ताल नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करने का केंद्र है।
दोस्तों हिंदू धर्म के अलावा दूसरे धर्मों में भी कैलाश पर्वत का महत्व बताया गया है।
माना जाता है कि कैलाश पर्वत एक तरफ स्फ़टिक, दूसरी तरफ माणिक और तीसरी ओर सोना और चौथी तरफ नीलम से बना हुआ है।
कहते हैं कि कैलाश पर्वत 6 पर्वत श्रव्यOओ के बीच कमल के फूल जैसा दिखाई देता है जहां भगवान शिव विराजमान हैं जय महाकाल
दोस्तों हमें उम्मीद है कि आपको जय महाकाल की पोस्ट ज़रूर पसंद आई होगी.
तो शेयर जरूर करिए कमेंट बॉक्स में उसे बताइए कि आपको कैसा लगा पोस्ट और अपने दोस्तों से ज़रूर शेयर करें.
अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद हमारे ब्लॉक के साथ ज़रूर बने रहें
धन्यवाद
Pingback: Guru Purnima: गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण का रहस्य » Mystery
Pingback: Parijat Tree: पारिजात पेड़ का रहस्य, राम मंदिर भूमि पूजन मैं पीएम मोदी ने किया पौधारोपण » Mystery