रामप्पा मंदिर के बाद अब धोलावीरा को यूनेस्को ने दिया वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा, जानें क्या है खासियत

तेलंगाना के 13वीं सदी के रामप्पा मंदिर को यूनेस्को की ओर से वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा मिलने के बाद अब भारत की एक और धरोहर को सम्मान मिला है। यूनेस्को ने मंगलवार को गुजरात में स्थित धोलावीरा को भी वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया है। धोलावीरा में हड़प्पा सभ्यता के अवशेष पाए जाते हैं, जो दुनिया भर में अपनी अनूठी विरासत के तौर पर मशहूर हैं। धोलावीरा गुजरात में कच्छ प्रदेश के खडीर में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है, जो लगभग पांच हजार साल पहले विश्व का प्राचीन महानगर था। हड़प्पा सभ्यता के पुरास्थलों में एक नवीन कड़ी के रूप में जुड़ने वाला पुरास्थल धौलावीरा ‘कच्छ के रण’ के मध्य स्थित द्वीप ‘खडीर’ में स्थित है।

मंगलवार को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज कमिटी के 44वें सेशन में धोलावीरा को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का टैग दिए जाने का फैसला लिया गया। इससे पहले रविवार को तेलंगाना के रामप्पा मंदिर को भी यही दर्जा मिला था। रामप्पा मंदिर को काकात्य वंश के राजाओं ने बनवाया था। इसके साथ ही अब भारत में कुल ऐसी 40 साइट्स हैं, जिन्हें वर्ल्ड हेरिटेज का टैग मिल चुका है। यूनेस्कों के मुताबिक किसी ऐसी विरासत को वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा दिया जाता है, जो संस्कृति और प्राकृतिक महत्व की हो।

इसके अलावा किसी भी देश की संस्कृति की झलक देने वाली और भविष्य में भी मानव समाज को प्रेरित करने वाली जगहों को यह दर्जा दिया जाता है। गुजरात की बात करें तो धोलावीरा समेत अब कुल 4 वर्ल्ड हेरिटेज साइट यहां मौजूद हैं। धोलावीरा के अलावा पावागढ़ में स्थित चंपानेर, पाटन और अहमदाबाद में रानी की वाव को भी वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा मिला है।

कैसे हैं धोलावीरा में मिले हड़प्पा सभ्यता के अवशेष

इस द्वीप के समीप ही ‘सुर्खाव’ शहर स्थित है। धोलावीरा गांव ‘खडीर द्वीप’ की उत्तरी-पश्चिमी सीमा पर बसा है। धौलावीरा पुरास्थल की खुदाई में मिले अवशेषों का प्रसार ‘मनहर’ एवं ‘मानसर’ नामक नालों के बीच में हुआ था। धोलावीरा नामक हड़प्पाई संस्कृति वाले इस नगर की योजना समानांतर चतुर्भुज के रूप में की गयी थी। इस नगर की लम्बाई पूरब से पश्चिम की ओर है। नगर के चारों तरफ एक मज़बूत दीवार के निर्माण के साक्ष्य मिले हैं। नगर के महाप्रसाद वाले भाग के उत्तर में एक विस्तृत सम्पूर्ण एवं व्यापक समतल मैदान के अवशेष मिले हैं। इसके उत्तर में नगर का मध्यम भाग है जिसे ‘पुर’ की संज्ञा दी गई थी। इसके पूर्व में नगर का तीसरा महत्त्वपूर्ण भाग स्थित है जिसे ‘निचला शहर’ या फिर ‘अवम नगर’ कहा जाता है।

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