भारत और चीन के बीच सीमा पर हिंसक युद्ध कितनी बार हुआ था आइए जानते हैं इसका रहस्य
नमस्ते दोस्तों स्वागत है आपका टेक्नोलॉजी मगन ब्लॉग में आइए जानते हैं भारत और चीन के बीच के हिंसक युद्ध के बारे में रहस्य
दोस्तों दोनों देशों के बीच सबसे बड़ा पहला टकराव 1962 में हुआ था । जो युद्ध में तब्दील हो गया लेकिन 1962 में चीन को जीत मिली थी। लेकिन सन 1967 में भारतीय सेना ने चीन को ऐसा सबक सिखाया जिसे इतिहास आज भी याद करता है उसमें भारत विजय हुआ था।
और सन 1975 में भारत और चीन की बॉर्डर पर फिर से हिंसा का टकरा हुआ था उसके बाद सन 2020 फिर से भारत और चीन बॉर्डर गलवन घाटी में हिंसक पथराव से चीनी सनी कौन है झड़प की उसमें हमारे भारत देश के 20 जवान शहीद हो गए। और चाइना के 43 सैनिक मैं से कुछ सैनिक घायल और कुछ मारे गए। अब फिर से चीन युद्ध जैसा माहौल कर रहा है।
सन 1962 भारत और चीन बीच का युद्ध का रहस्य
भारत और चीन का युद्ध सन 1962 में दोनों देशों के बीच सबसे बड़ा युद्ध टकराव हुआ था। यह युद्ध भारत और चीन दोनों देशों की सीमा विवाद के रूप में जाना जाता है। यह युद्ध विवादित हिमालय सीमा के लिए मुख्य एक बहाना था 3:00 से 9:00 20 अक्टूबर 1962 को लद्दाख में और मैकमोहन रेखा के पार एक साथ हमले शुरू किए । इस युद्ध में ज्यादातर लड़ाईया 4250 मीटर यानी 14000 फिट से अधिक ऊंचाई पर लड़ी गई। 1962 के युद्ध में चीन को जीत मिली थी। कहा जाता है कि भारतीय युद्ध के लिए तैयार नहीं था जिसके चलते उसे शिकस्त झेलनी पड़ी हालांकि उस लड़ाई में भी कुछ क्षण के बाद भारतीय सेना ने दूसरे युद्ध के लिए तैयार थे। और सन 1967 में चीन को सबक सिखा ही दिया और इस युद्ध में भारत विजय हुआ ।
सन 1967 भारत और चीन के बीच का युद्ध का रहस्य
सन 1967 मैं भारतीय सैनिकों ने चीन को दूर साहस का मुंह तोड़ जवाब पैसा दिया कि उसमें चीनी सैकड़ों सैनिक न सिर्फ मार गिराया बल्कि उनके कई ऐसे बंकरो और चौकियों को निशाने से ध्वस्त किया। नाथू ला दर्रे की घटना चीन को आज भी बड़ा सबक सीखने को मिला है इस नाम को सुनते ही चीन आज भी डर कर बोखला जाता है बस उसे यही डर है कि 2020 में ऐसा ना हो कि चाइना को 1967 जैसा हाल हो हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मन की बात बताई है कि हमारे जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने दूंगा इसका बदला चीन से अवश्य लेंगे। सन 1967 में भारत की सेना के 80 सैनिक शहीद हुए थे जबकि चीन के सैनिक 300 से 400 मारे गए और कई सैनी बुरी तरह घायल भी हुए थे यह युद्ध अक्टूबर 1967 सिक्किम तिब्बत बॉर्डर के चोला में घटना हुई थी और यह जगह नाथू ला के पास ही थी।
सन 1975 में भारत और चीन के बीच युद्ध का रहस्य
सन 1975 में भारत और चीन के बीच ऐसा युद्ध हुआ जैसा कि 1967 में हुआ था 1967 की शिकस्त चीन अभी हजम नहीं कर पा रहा है लगातार सीमा पर टेशन बढ़ाने की कोशिश करता रहा । 20 अक्टूबर 1975 को चीनी सेना ने LAC रेखा पार कर भारतीय सेना पर हमला किया हालांकि चीन भारत के दावे से नकार दिया। चीन की तरफ से कहा गया था कि भारतीय सेना एलएसी को क्रॉस करके चीनी पोस्ट पर हमला किया पूरी घटना जवाबी कार्रवाई पर करारा जवाब दिया गया और इसमें चीनी सेना को भी काफी नुकसान भी पहुंचा।
इसके बाद सन 1987 में भी भारत और चीन के बीच टकराव देखने को मिले थे यह टकराव तवांग के उत्तर मैं समदोराग चू रीजन में हुआ था लेकिन भारत और चीन के बीच लगातार कुछ न कुछ टकराव होते आए हैं।
इसके बाद सन 2020 में फिर से चीन ने भारत से टकराव शुरू कर दिए ऐसे में लगता है कि युग जैसा माहौल हो सकता है। हालांकि 1987 मैं हिंसा नहीं हुई लेकिन अब 2020 में आकर एक बार फिर से चीन ने हिंसा जनक टकराव शुरू कर दिया गलवान घाटी में 15 जून को जब दोनों सेनाओं के बीच बातचीत चल रही थी। तभी चीनी सेना ने भारतीय सेना पर चोरी चुपके पीठ पीछे से वार कर दिया। दरअसल पत्थरों और तारों से गद्दारों ने वार कर दिया। इसके चलते हमारे भारतीय सेना साहस और बहादुरी से चीनी सेना को ऐसा सबक सिखाया। भारतीय सेना ने अपनी सैन्य टुकड़ी को आदेश दिया कि चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया जाए इस मुठभेड़ में चीन के 43 सैनिक घायल और मारे जाने की पुष्टि हुई है। इस मुठभेड़ में भारतीय सेना के 20 जवान देश के लिए बलिदान देते हुए शहीद हो गए
हमें गर्व है हमारी भारतीय सेना पर जो देश के लिए शहीद हो गए । हमारे भारतीय सेना के वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं
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